शुक्रवार, 29 मई 2020

हिंदी व्याकरण वर्णमाला

हिंदी व्याकरण - वर्णमाला (Hindi Varnamala)


किसी भी भाषा को व्यक्त करने के लिए कुछ निश्चित वर्णों  का प्रयोग किया जाता हैं | इन्हीं समस्त वर्णों  के समूह को वर्णमाला कहते हैं| हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि या वर्ण होती  हैं,वर्ण का दूसरा नाम अक्षर होता हैं|

वर्ण या अक्षर (LETTERS) 

वर्ण को हम अक्षर भी कहते हैं | अक्षर शब्द का अर्थ होता हैं- जिसका क्षर (विनाश ) न हो अर्थात जिसको तोड़ा न जा सके |

अतः वर्ण ध्वनि का नाम हैं , वर्ण किसी शब्द का वह खंड है जिसे खंड खंड नहीं किया जा सकता अर्थात जिस का विभाजन नहीं किया जा सकता प्रत्येक वर्ण की ध्वनि अपना एक विशेष आकार रखती है इसी आकार को वर्ण कहतें हैं ।

 प्रत्येक भाषा में कई वर्ण होते हैं, इसी प्रकार हिंदी भाषा की वर्णमाला में कुल 52 वर्ण हैं

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वर्ण के प्रकार:-

    हिंदी वर्णमाला में वर्णों को दो प्रमुख भागों में बांटा गया है।
1- स्वर
2- व्यंजन

1-स्वर - 

वह वर्ण जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती अर्थात स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण स्वर कहलाते हैं।

हिंदी वर्णमाला में स्वरों की कुल संख्या 11 है।

 अ , आ ,इ, ई , उ , ऊ ,ऋ ,ए ,ऐ, ओ ,औ

स्वर के प्रकार:- (Types of vowels)

1- हस्व स्वर ( एक मात्रिक वर्ण)-  

वे स्वर जिन के उच्चारण में एक मात्रा के उच्चारण का समय लगता है। (एक मात्रा का समय उतना कहलाता है जितना 'अ' बोलने में लगता हैं।)

 यह संख्या में 4 होते हैं।

 अ , इ ,उ ,ऋ


2- दीर्घ स्वर ( द्विमात्रिक वर्ण) :- 

वे स्वर जिनके उच्चारण में एक मात्रा के 2 गुने के बराबर समय लगता है उन्हें  द्विमात्रिक वर्ण या दीर्घ स्वर कहतें हैं।

यह संख्या में 7 होते हैं।

 आ ,ई ,ऊ ,ए, ऐ ,ओ ,औ।

दीर्घ स्वर को भी दो वर्गों में बांटा जा सकता हैं।

A)- मूल दीर्घ स्वर- ये संख्या में 3 होतें हैं।
 
         आ, ई, ऊ।

इसे भी देखें- प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणीय सम्मेलन

B)- संयुक्त स्वर- यह संख्या में 4 हैं, ये आपस में 2 स्वरों को मिलाने से बनते हैं।

 ए ,ऐ ,ओ ,औ,

ए - अ/आ + इ/ई
ऐ - अ/आ + उ/ऊ
ओ - अ/आ +ए
औ - अ/आ + ओ।

नोट- प्लुत स्वर (त्रिमात्रिक वर्ण) - 

वे स्वर जिन के उच्चारण में एक मात्रा का 3 गुना समय लगता है उन्हें त्रिमात्रिक या प्लुत स्वर कहते हैं।
इस प्रकार के स्वर का प्रयोग हिंदी भाषा में नहीं किया जाता यह संस्कृत भाषा का विषय है।
यह चिल्लाने रोने तथा दूर से पुकारने से व्यक्त होता है।
 जैसे-
बाप रे,  रे मोहना।

इनकी पहचान के लिए दीर्घ स्वर के आगे 3 अंक लिख दिया जाता है जैसे-
ओ३म।


व्यंजन -

जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं हो पाता वह व्यंजन वर्ण कहलाते हैं। वर्णमाला में स्वरों के अतिरिक्त शेष सभी वर्ण व्यंजन होते हैं ।

व्यंजन वर्णों को बोलने अथवा लिखने के लिए स्वर की आवश्यकता होती है स्वर को निकाल देने से उसका रूप हलंत के साथ हो जाता हैं। जैसे- क् , ख् , ग् |

क् + अ  = क
ख् +अ  = ख
ग् + अ = ग

हिंदी वर्णमाला में निम्नलिखित व्यंजन होते हैं।

1)- वर्गीय व्यंजन (स्पर्श व्यंजन) :- (कुल 25 वर्ण)

क वर्ग - क् , ख् , ग् ,घ् ,ङ
च वर्ग - च्, छ, ज,झ,
ट वर्ग- ट, ठ, ड, ढ, ण
त वर्ग - त, थ, द, ध, न
प वर्ग - प,फ,ब,भ, म

नोट- इसमें ङ,ञ,ण,न ,म को पंचम वर्ण कहा जाता हैं|क्योंकि ये प्रतेक वर्ग में पांचवे स्थान पर आते हैं|

इसे भी देखें - शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ व परिभाषा


2)- उष्म व्यंजन( संघर्षी व्यंजन) :- कुल 4 वर्ण

     श,ष, स, ह

  इन व्यंजनों के उच्चारण के समय प्राणवायु संघर्ष करके निकलती है इसलिए इन्हें संघर्षी व्यंजन भी कहा जाता हैं।

3)- अन्तःस्थ व्यंजन (कुल 4 वर्ण) या अर्द्धस्वर 

      य, व, र, ल

नोट- इसमें (र और ल ) को प्रकंपित वर्ण भी कहा जाता है क्योंकि इनके उच्चारण के समय प्राणवायु प्रकंपित होकर निकलती हैं।

पूरी वर्णमाला को समझने के लिए आप हमरी ये वीडियो देख सकते हैं मैने इस वीडियो में पूरी वर्णमाला को अच्छे से समझया हैं--👇





4)- संयुक्त व्यंजन (कुल 4 वर्ण)

   क्ष,त्र,ज्ञ, श्र
 जिसमें---
      क्ष - क् + ष
      त्र - त+र
      ज्ञ - ज् +
      श्र- श+र
से मिलकर बने होतें हैं।

 5) अयोगवाह (कुल 2 वर्ण)

    अं - इसे अनुस्वार कहतें हैं।
    अ: - इसे विसर्ग कहतें हैं।


6)- द्विगुण या उक्षिप्त व्यंजन (2 वर्ण) :-

           ड़ , ढ़



इसे भी देखें- शिक्षण कौशल किसे कहते हैं?

नोट-

     यदि- शुद्ध व्यंजन कितने है ये पूछा जाता है तो-

       33

 इसमें स्पर्श व्यंजन+उष्म व्यंजन+अन्तःस्थ व्यंजन शामिल हैं।
 (25+4+4 =33)

कुल कितने व्यंजन हैं तो--
 41

इसमें शुद्ध व्यंजन +संयुक्त व्यंजन +अयोगवाह+द्विगुण या उक्षिप्त व्यंजन 

  33+4+2+2 +41


इस प्रकार हिंदी वर्णमाला में कुल 41 (व्यंजन)+ 11 (स्वर) = 52 वर्ण होते हैं|

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महत्वपूर्ण बिंदु ( Important points on Hindi vyanjan ) –

भाषा की सबसे महत्वपूर्ण इकाई ध्वनि है।
ध्वनि के लिखित रूप को वर्ण कहते हैं।
वर्णों की व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं।
वर्ण के दो भेद हैं १ स्वर २ व्यंजन।
स्वर दो प्रकार के हैं ह्रस्व और दीर्घ।
अनुनासिक स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से होता है।
व्यंजनों का वर्गीकरण उच्चारण स्थान तथा प्रयत्न के आधार पर किया जाता है।


व्यंजनों को सघोष – अघोष , अल्पप्राण – महाप्राण , स्पर्श – संघर्षी वर्गों में बांटा जाता है।
शब्द के जिस अक्षर पर बल दिया जाता है उसे बलाघात कहते हैं।

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