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शिक्षण कौशल (Teaching Skills)


 शिक्षण कौशल ( Teaching Skills)
शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक के द्वारा प्रश्न पूछना, व्याख्यान देना, सहायक सामग्री का प्रदर्शन करना
पुनर्बलन देना, उदाहरण प्रस्तुत करना आदि कार्य करने होते है,जिसके द्वारा वें अपने शिक्षण प्रक्रिया
को सरल,सुगम व रुचिपूर्ण बना सकें, इन्ही सम्पूर्ण प्रक्रिया को शिक्षण कौशल कहा जाता है।

          अर्थात, शिक्षक द्वारा शिक्षण कार्य करते हुए अपने शिक्षण को प्रभावपूर्ण, रुचिकर व उद्देश्य पूर्ण
बनाने के लिए जो कुछ भी किया जाता है उसे शिक्षण कौशल कहते है।

परिभाषा -

बी0 के0 पासी ने शिक्षण कौशल शब्द को इस प्रकार परिभाषित किया हैं:- “शिक्षण कौशल उन परस्पर सम्बन्धित शिक्षण-क्रियाओं या व्यवहारों का समूह हैं जो विद्यार्थी के अधिगम में सहायता देते हैं।“



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एन0 एल0 गेज के अनुसार, ”शिक्षण कौशल वे अनुदेशनात्मक क्रियाएँ और विधियाँ है जिनका प्रयोग शिक्षक अपनी कक्षा में कर सकता है। ये शिक्षण के विभिन्न स्तरों से सम्बन्धित होती है या शिक्षक की निरन्तर निष्पति के रुप में होती हैं।“

शैक्षिक शब्दकोष के अनुसार, ”कौशल मानसिक शारीरिक क्रियाओं की क्रमबद्ध और समन्वित प्रणाली होता हैं।“


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शिक्षण कौशल कितनें प्रकार के होतें हैं?

शिक्षण कौशल के प्रकार--

            1- प्रस्तावना कौशल  ( Introducing Skill)--

     
              किसी भी टॉपिक को पढ़ाने से पहले प्रस्तावना बनाना चाहिए जिससे बच्चे उस टॉपिक को अपने पूर्वज्ञान से जोड़ सके,प्रस्तावना कौशल में आप किसी टॉपिक को किसी कहानी के माध्यम से , खोजपूर्ण प्रश्न पूछ कर, किसी दृश्य श्रव्य सामग्री
का प्रयोग करके या कोई चित्र आदि दिखाकर  कर सकते हैं।
जैसे- यदि आप प्राथमिक कक्षा में चुम्बक के विषय मे बच्चों को पढ़ना चाहतें हैं तो आपकों यह सुनिश्चित करना चहियर कि बच्चों का 'लोहा धातु' के बारे में पूर्व ज्ञान है या नहीं।क्योंकि चुम्बकीय गुण का ज्ञान देते समय आपकों लोहे को दृश्य सामग्री के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए जिससे बच्चों में पाठ के प्रति रुचि बनी रहें।

इस प्रकार प्रस्तावना कौशल का प्रयोग कर बच्चों को उनके पूर्व ज्ञान से जोड़कर शिक्षण कार्य को अधिक प्रभावशाली बना सकतें हैं।


प्रस्तावना कौशल के निम्न चरण होतें हैं-

1-पूर्व ज्ञान का प्रश्न पूछ कर (शिक्षण कौशल)
2-कहानी या कविता सुना कर
3-उदाहरण, याद घटित घटना बताकर
4-प्रदर्शन या प्रयोग द्वारा चार्ट,चित्र,मॉडल का प्रयोग करके

निसंदेह प्रस्तावना कौशल किसी भी विषय वस्तु को अपनी पूर्णता तक ले जाने का द्वार होता है।

इस पूरे टॉपिक को अच्छे से समझने के लिए आप हमारी ये👇 वीडियो देख सकते हैं|




2- कक्षा- कक्ष प्रबंधन कौशल ( Class Management Skill)-

          कक्षा- कक्ष में छात्रों के बैठने के तरीके से लेकर, कक्षा में छात्रों में अनुशासन तथा छात्रों
की शिक्षण प्रक्रिया में रुचि बनी रहें इन सबका प्रबन्ध करना कक्षा-कक्ष प्रबंधन कौशल के अंतर्गत
आता है।
कक्षा-कक्ष प्रबंधन अच्छा बना रहे इसके लिए शिक्षक को निम्न उपाय करना चाहिए--

१-शिक्षक को चाहिए कि कक्षा में पढ़ाते समय अपनी कक्षा में अनुशासन बनाये रखें, कक्षा में बच्चों को इस प्रकार बैठने की व्यवस्था करें कि जहाँ तक संभव हो छोट बच्चों को आगे की सीट पर स्थान मिले जिससे वे श्यामपट्ट कार्य को आसानी से देख सकें।
२. साथ ही कमरे का आकार व बच्चों की संख्या के अनुसार यह सुनिश्चित करें कि पीछे तक उसकी आवाज तेज व स्पष्ट
जा रही हो।
३- श्यामपट्ट कार्य करते समय भी बच्चों पर ध्यान बनाए रखें जिससे कक्षा का अनुशासन बना रहे।

आप हमारे YouTube चैनल पर 👉सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण देख सकतें हैं।


 3- श्यामपट्ट कौशल ( Black Board Skill)--


            शिक्षण प्रक्रिया के दौरान श्यामपट्ट का सही तरीके से प्रयोग करना ही श्यामपट्ट कौशल के अंतर्गत आता है।
    छोटी कक्षा के लिए श्यामपट्ट कौशल अति आवश्यक होता है।

  जैसे- १.श्यामपट्ट पर जो भी लिखना स्वच्छ, स्पष्ट व सीधी लाइन में लिखना  चाहिए।
         २.अक्षरों का आकार कक्षा के अनुरूप हो
       ३.चित्र आदि बनाते समय अलग-अलग रंग के चॉक का प्रयोग करना।
४.श्यामपट्ट पर लिखतें समय सीधी रेखा में लिखना चाहिए।
५.श्यामपट्ट कार्य करतें समय विषय के अनुसार सचित्र वर्णन करना चाहिए।
 ६- श्यामपट्ट पर लिखते समय इस प्रकार कोण बना कर खड़ा हो जिससे पूरी कक्षा पर उसका ध्यान बना रहे और बच्चों को श्यामपट्ट स्पष्ट रूप से दिखाई दें।

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4- उद्दीपन परिवर्तन कौशल

 छात्रों का ध्यान टॉपिक में बना रहे इसके लिए अध्यापक को अपने शरीर का संचालन,अपने हाव-भाव मे परिवर्तन, हाथों का संकेत,स्वर में उतार चढ़ाव, छात्र - शिक्षक की अन्तःक्रियाया में परिवर्तन आदि टॉपिक के अनुसार करना चाहिए, जिससे शिक्षक-छात्र अनुक्रिया सही ढंग से हो सके।
इस प्रकार के कौशल को उद्दीपन परिवर्तन कौशल कहते है।

 5- पुनर्बलन कौशल ( Reinforcement Skill)

किसी यैसे पुनर्बलन का प्रयोग करना या पहले से किये गए पुनर्बलन को हटाना जिससे छात्र- शिक्षक की अनुक्रिया बनी रहे।

जैसे- छात्रों को शाब्दिक या अशाब्दिक पुनर्बलन देना।

6- खोजपूर्ण प्रश्न कौशल


        यदि कोई छात्र किसी प्रश्न का उत्तर न दे पा रहा हो तो उससे संबंधित कोई दूसरा प्रश्न पूछना जो कि पहले प्रश्न से संबंधित हो, जिससे छात्र अपने पूर्व ज्ञान को अपने टॉपिक से जोड़ सके।

7- उद्देश्य कौशल -

     शिक्षण कार्य हमेशा उद्देश्य पूर्ण हो, जो भी कक्षा-कक्ष में पढ़ाया जा रहा हो उसका एक अपना निश्चित उद्देश्य हो , वही कार्य या टॉपिक बच्चों को कराया जाना चाहिए। उद्देश्य विहीन शिक्षण नही होना चाहिए।


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8- दृष्टांत या उदाहरण कौशल ( Example Skill)


        यदि कोई टॉपिक बच्चों की समझ मे न आ रहा हो तो उसको उदाहरण के माध्यम से बच्चों को समझना या दिखाना चाहिए, जैसे- किसी कहानी के माध्यम से,कोई चित्र,मानचित्र, वास्तविक उदाहरण, प्रायोगिक उदहारण का प्रयोग करना चाहिए जिससे बच्चों में करके सीखने की रुचि जागृति हो सके।
  सावधानी- सार्थक, सरल,तथा रोचक हो

9- व्याख्यान कौशल ( Lecture Skill)


बड़ी कक्षा के लिए उपयोगी होती है,व्याख्यान पूर्वज्ञान से संबंधित, रुचिपूर्ण व उद्देश्य पूर्ण होना चाहिए।

10- शिक्षण सहायक सामग्री प्रयोग कौशल--

       इस कौशल के अंतर्गत शिक्षकों को दृश्य- श्रव्य सहायक सामग्री का कुशलता पूर्वक प्रयोग करना आता है।
   जैसे- सहायक सामग्री पाठ्यक्रम के अनुरूप हो, रोचक हो, उद्देश्य पूर्ण हो तथा सस्ती हो।


इस प्रकार हम कह सकते है की एक शिक्षक के लिए शिक्षण कौशल का ज्ञान उतना ही जरूरी हैं, जितना कि जौहरी को हीरे का होना चाहिए। कोई शिक्षक किसी भी विषय का कितना भी ज्ञानी क्यों न हों यदि वह सही ढंग से अपनी कक्षा में शिक्षण कौशल का प्रयोग नहीं करता हैं तो वह अपने ज्ञान को बच्चों के सामनें प्रभावशाली ढंग से नहीं प्रस्तुत कर पायेंगा जिससे शिक्षण उद्देश्यहीन हों जाएंगी।
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उपरोक्त जो लेख आपने पढ़ा इसकी पूरी वीडियो हमारे Youtube Channel पर उपलब्ध हैं आप हमारी वीडियो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं,इस विडियो में मैंने पूरे टॉपिक को अच्छे ढंग से समझाया है.

Teaching skills
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Milan Tomic

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